दोस्तों, आज़ादी के 65 सालों बाद आज हम जहाँ हैं उसे देख कर सिर्फ अफ़सोस और पछतावा ही होता है. पर अब बहुत हो चुका ! अगले चुनाओं में कांग्रेस को एक भी सीट न मिले इसके लिए हम आम लोगों को ही आगे आ कर कदम उठाना होगा.
वैसे तो बीजेपी भी पाँच साल केंद्र में शासन कर गयी . उसका क्या हश्र हुआ सब जानते हैं , लेकिन फिर भी कांग्रेस को वोट देने की ये कोई वजह नहीं हो सकती. और फिर एक उम्मीद की किरण है नरेन्द्र मोदी , भले ही वो बीजेपी से हैं लेकिन अगर शीर्ष पर बैठा व्यक्ति सही है तो अपने मातहतों से वो काम करवा सकता है . लेकिन सोनिया जैसा नेता हो तो सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ आती है , दुसरे मन मोहन ( उसे सिंह कहना सिंहों का अपमान है ) एक तो करेला और ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत उन पर चरितार्थ होती है.
तो दोस्तों इन नेताओं को उनकी असली औकात हमें इस बार जरूर दिखानी होगी .
आप जानते ही होंगे की मोदी जी का उनकी और उनकी सहयोगी पार्टियों में विरोध हो रहा है. जानते हैं क्यों , क्योंकि यदि मोदी प्रधान मंत्री बन गए तो बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों में बहुत से नेताओं की दुकान पर ताला लग जायेगा.
इसलिए हमें बीजेपी को भी ये सन्देश देना होगा की यदि मोदी नहीं तो फिर बीजेपी भी नहीं.
दोस्तों ये एक कठिन निर्णय है . पर हमें इसे लेना ही होगा
फिर मिलेंगे !
वैसे तो बीजेपी भी पाँच साल केंद्र में शासन कर गयी . उसका क्या हश्र हुआ सब जानते हैं , लेकिन फिर भी कांग्रेस को वोट देने की ये कोई वजह नहीं हो सकती. और फिर एक उम्मीद की किरण है नरेन्द्र मोदी , भले ही वो बीजेपी से हैं लेकिन अगर शीर्ष पर बैठा व्यक्ति सही है तो अपने मातहतों से वो काम करवा सकता है . लेकिन सोनिया जैसा नेता हो तो सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ आती है , दुसरे मन मोहन ( उसे सिंह कहना सिंहों का अपमान है ) एक तो करेला और ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत उन पर चरितार्थ होती है.
तो दोस्तों इन नेताओं को उनकी असली औकात हमें इस बार जरूर दिखानी होगी .
आप जानते ही होंगे की मोदी जी का उनकी और उनकी सहयोगी पार्टियों में विरोध हो रहा है. जानते हैं क्यों , क्योंकि यदि मोदी प्रधान मंत्री बन गए तो बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों में बहुत से नेताओं की दुकान पर ताला लग जायेगा.
इसलिए हमें बीजेपी को भी ये सन्देश देना होगा की यदि मोदी नहीं तो फिर बीजेपी भी नहीं.
दोस्तों ये एक कठिन निर्णय है . पर हमें इसे लेना ही होगा
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