Thursday, August 18, 2011

समझ नहीं आता !

समझ नहीं आता कि ये अन्ना हजारे का करिश्मा है या फिर मीडिया के द्वारा रचा गया नाटक, कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी टी वी चैनलों पर ऐसा ही कुछ राग अलाप रहें है, बात दरअसल ये है कि बुदिजीवी (जिनके पास पैसा भी बहुत है) इस देश की जनता की ताकत देख कर बौखलाए से फिर रहे है। उन्हें ये समझ नहीं आरहा कि देश की जनता को ये अचानक क्या हो गया है, ये तो कुछ समझती ही नहीं थी, अचानक इतनी समझदार कैसे हो गयी कि सरकार के लोकपाल और जन लोकपाल का फर्क जानने लग गयी । वे कहते है कि कानून बनाना तो संसद का काम है और अन्ना हजारे कौन होते है सरकार को बताने वाले कि कैसा क़ानून बनना चाहिए । अरे भाई सरकारों ने अगर पिछले चौंसठ सालों में अपना काम ईमानदारी और देशभक्ति के साथ किया होता तो फिर आज ये नौबत ही क्यों आती। और इन बुद्धिजीवीओं को आम आदमी की तकलीफों का क्या पता, इनका हर काम तो घर बैठे ही होजाता है। इन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ें तो पता चले । सारे नेता, अफसर और ये बुद्धीजीवी एक ही कुनबे के जीव ही तो है। दिन भर इधर उधर भाषण देलिए, बतियालिये और शाम को प्राईम टाइम में किसी चैनल पर कुछ उगल दिया और बदले में कुछ हरे-हरे नोट जेब में दाल कर चल दिए ।
अगर सरकारी अफसरों और नेताओं के कारनामे, जिनसे वे अकूत दौलत बनाते हैं यहाँ लिखना शुरू करू तो सारा दिन लगाकर भी पूरा नहीं पड़ेगा। और फिर मैं यहाँ क्यों लिखूं , आपको छोड़ कर बाकी देश की जनता तो जान ही गयी है ना , आप जाने या ना जाने इससे फर्क भी क्या पड़ता है ।
देश में हो रहा आन्दोलन अन्ना के लिए नहीं है साहब , ये जनता का गुस्सा सरकार के खिलाफ है, कुछ समझे बुद्धीजीवी साहब। जरा बच के रहिएगा ।
श्रीकृष्ण वर्मा

Tuesday, August 16, 2011

सोलह अगस्त २०११

सोलह अगस्त की सुबह साढ़े सात बजे अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है और रात दस बजे रिहा करने क आदेश भी दे दिये जाते है। दिन भर गृह मंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री अन्ना की गिरफ्तारी को सही ठहराने की कोशिश करते नजर आते है , इससे एक बात तो साफ़ है कि सरकार में तालमेल की बेहद कमी है और इसी तरह ये बाकी निर्णय भी लिया करते है तभी तो ना तो महंगाई कम होने का नाम ले रही है और ना ही भ्रष्टाचार पर कोई लगाम लग पा रही है। तो फिर कोई कैसे मान ले कि देश की सुरक्षा और अन्य बेहद नाजुक मामलों पर ये लोग देशहित में फैसले लेते होंगे।
असल में बात ये है कि सरकार के ये मंत्री कभी देश हित को ध्यान में रखते ही नहीं , ये तो हमेशा सिर्फ और सिर्फ या तो अपना घर भरने की सोचते है या फिर पार्टी हित को ध्यान में रख कर फैसले करते हैं। वर्ना आज़ादी के पैसठ सालों बाद भी आम जनता को आन्दोलन के लिए सड़कों पर ना उतरना पड़ता इसने तो अंग्रेजों के राज की याद दिला दी। इसमें तकलीफ की बात ये है कि ये आन्दोलन लोगों को खुद की चुनी हुयी सरकार के खिलाफ करना पड़ रहा है।
लेकिन इस बार हमें सरकार को ये बता देना है कि आपको हमने अपना घर भरने के लिए नहीं चुना है बल्कि आपको हर हाल में देश हित को ध्यान में रखते हुए लोगों का हित ध्यान में रखना होगा वर्ना आपको कुर्सी छोडनी होगी।
बस अब बहुत हुआ, अब और सहा नहीं जाता।
मनमोहन जी आप तो बहुत पढ़े लिखे हैं ज्ञानी हैं आप तो कुछ सोचिये अगर आप अपना कर्तव्य नहीं निभा पा रहे हैं तो कृपया त्याग पत्र दे कर जनता के सामने सारी सच्चाई रखें , ये एक सच्ची देश सेवा होगी। कृपया इन भ्रष्ट नेताओं का साथ ना दें।
ईश्वर आपको शक्ति दे।
श्रीकृष्ण वर्मा
देहरादून

Sunday, August 14, 2011

याहू !

आज चौदह अगस्त को शम्मी कपूर हमारे बीच नहीं रहे , ईश्वर उनकी आत्मा को परम शांती प्रदान करे।
उनके बारे में टेलीविज़न चैनलों में काफी कुछ दिखाया जा रहा है। लेकिन उनकी एक विशेषता और थी की जब भी उनकी किसी भी फिल्म के गाने की रिकार्डिंग होती थी तो वो हमेशा वंहा मौजूद रहते थे। सिर्फ एक बार ऐसा हुआ था जब वो अपने गाने की रिकार्डिंग पर नहीं जा सके थे। ऐसी थी उनकी काम के प्रति लगन ।
मेरा शमशेर राज कपूर (उनका पूरा नाम) को प्रणाम।
श्रीकृष्ण वर्मा
देहरादून

अब तो धोखा देना बंद करो !

आज मनीष तिवारी , प्रवक्ता कांग्रेस ने मीडिया के सामने अन्ना हजारे के बारे में कुछ बातें रखीं जैसे अन्ना ने अपने जन्म दिन पर २.२० लाख रुपये खर्च किये , और भी बहुत कुछ कहा । मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूँ, लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता होने के नाते बताएं की क्या अन्ना हजारे के पाप गिनाने से कांग्रेस के पाप कम हो जायेंगे ? क्या ऐसा करने से राजा या कलमाड़ी बेगुनाह साबित हो जायेंगे । अरे भाई ! अब तो देश का बच्चा -२ जानता है की अकेले राजा या सुरेश कलमाड़ी की हिम्मत या हैसियत ही नहीं थी की वो अकेले इतना बड़ा घोटाला कर लेते । इस हमाम में पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी नंगी है। इसी लिए जब भी कोई बाबा रामदेव या अन्ना हजारे आपकी पार्टी और सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ आवाज उठाता है तो आप जैसे प्रवक्ता और कपिल सिब्बल जिससे कैबिनेट मंत्री जोर-जोर से उनके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगते हैं । अरे भाई कभी अपने गिरेबान में भी झांक कर देखो। दूसरों के अपराध गिनाने से आपके अपने अपराध कम नहीं हो जाते , बेहतर होगा कि अगले चुनाव होने से पहले खुद का घर साफ करें वरना जनता आपको साफ कर देगी। ये जो पब्लिक है ये सब जानती है।
श्रीकृष्ण वर्मा
१४/०८/२०११