सोलह अगस्त की सुबह साढ़े सात बजे अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है और रात दस बजे रिहा करने क आदेश भी दे दिये जाते है। दिन भर गृह मंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री अन्ना की गिरफ्तारी को सही ठहराने की कोशिश करते नजर आते है , इससे एक बात तो साफ़ है कि सरकार में तालमेल की बेहद कमी है और इसी तरह ये बाकी निर्णय भी लिया करते है तभी तो ना तो महंगाई कम होने का नाम ले रही है और ना ही भ्रष्टाचार पर कोई लगाम लग पा रही है। तो फिर कोई कैसे मान ले कि देश की सुरक्षा और अन्य बेहद नाजुक मामलों पर ये लोग देशहित में फैसले लेते होंगे।
असल में बात ये है कि सरकार के ये मंत्री कभी देश हित को ध्यान में रखते ही नहीं , ये तो हमेशा सिर्फ और सिर्फ या तो अपना घर भरने की सोचते है या फिर पार्टी हित को ध्यान में रख कर फैसले करते हैं। वर्ना आज़ादी के पैसठ सालों बाद भी आम जनता को आन्दोलन के लिए सड़कों पर ना उतरना पड़ता इसने तो अंग्रेजों के राज की याद दिला दी। इसमें तकलीफ की बात ये है कि ये आन्दोलन लोगों को खुद की चुनी हुयी सरकार के खिलाफ करना पड़ रहा है।
लेकिन इस बार हमें सरकार को ये बता देना है कि आपको हमने अपना घर भरने के लिए नहीं चुना है बल्कि आपको हर हाल में देश हित को ध्यान में रखते हुए लोगों का हित ध्यान में रखना होगा वर्ना आपको कुर्सी छोडनी होगी।
बस अब बहुत हुआ, अब और सहा नहीं जाता।
मनमोहन जी आप तो बहुत पढ़े लिखे हैं ज्ञानी हैं आप तो कुछ सोचिये अगर आप अपना कर्तव्य नहीं निभा पा रहे हैं तो कृपया त्याग पत्र दे कर जनता के सामने सारी सच्चाई रखें , ये एक सच्ची देश सेवा होगी। कृपया इन भ्रष्ट नेताओं का साथ ना दें।
ईश्वर आपको शक्ति दे।
श्रीकृष्ण वर्मा
देहरादून
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