महारष्ट्र में ५ विधायकों ने एक पुलिस सब इन्स्पक्टेर को विधान सभा के बहार बुरी तरह पीट दिया .
अब देखिये उन्हें क्या सजा मिली :
३ दिसंबर २० १ ३ तक विधान सभा से निलंबन . और उसके बाद फिर से ये विधायक देश की जनता का अपमान करने के लिए आजाद होंगे . जरा सोचिये अगर किसी आम आदमी ने ऐसी हरकत की होती तो उसे क्या सजा मिलती , सजा की तो छोडिये, पहले तो पुलिस वाले ही उसे मार -मार कर लहू लुहान कर देते और फिर कब तक वो जेल से बहार आपाता . उससे भी बड़ी बात उस बेचारे की तो समाचार चैनलों में खबर भी नहीं आती .
कानून ! इस देश में कानून सिर्फ रसूख वालों के लिए रह गया है. और वो भी कानून को अपनी मर्जी से जब चाहे जैसे चाहे इस्तेमाल करते हैं .
ऐसे हालात में पुलिस वालों से हम निष्पक्ष होकर काम करने की उम्मीद करते हैं जिस पुलिस अधिकारी के आत्म सम्मान की इस तरह धज्जियाँ उड़ाई जाती हों उससे किस तरह हम कर्तव्य पालन की उम्मीद कर सकते हैं . और उस बेचारे पुलिस वाले की गलती भी क्या थी , उसने विधायक को ट्राफिक के नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा था . होना तो ये चाहिए था की वो पुलिसे वाले को चालन की राशी का भुगतान करता और अपना काम इमानदारी से निभाने के लिए उसे शाबासी देता .
लेकिन जिस तरह के गुंडे मवाली , उठायेगीर अब विधानसभाओं में पहुँच रहे हैं बल्कि इसके लिए हम (जनता) ही जिम्मेदार है क्योंकि हमीं तो उन्हें जिताकर सत्ता तक पहुंचा रहे हैं .
लेकिन हमें एक बात याद रखनी चाहिए की हमारी आने वाली संताने हमें कभी भी सम्मान से याद नहीं करेंगी .
फिर मिलेंगे ( पर पता नहीं कब)
श्रीकृष्ण वर्मा
अब देखिये उन्हें क्या सजा मिली :
३ दिसंबर २० १ ३ तक विधान सभा से निलंबन . और उसके बाद फिर से ये विधायक देश की जनता का अपमान करने के लिए आजाद होंगे . जरा सोचिये अगर किसी आम आदमी ने ऐसी हरकत की होती तो उसे क्या सजा मिलती , सजा की तो छोडिये, पहले तो पुलिस वाले ही उसे मार -मार कर लहू लुहान कर देते और फिर कब तक वो जेल से बहार आपाता . उससे भी बड़ी बात उस बेचारे की तो समाचार चैनलों में खबर भी नहीं आती .
कानून ! इस देश में कानून सिर्फ रसूख वालों के लिए रह गया है. और वो भी कानून को अपनी मर्जी से जब चाहे जैसे चाहे इस्तेमाल करते हैं .
ऐसे हालात में पुलिस वालों से हम निष्पक्ष होकर काम करने की उम्मीद करते हैं जिस पुलिस अधिकारी के आत्म सम्मान की इस तरह धज्जियाँ उड़ाई जाती हों उससे किस तरह हम कर्तव्य पालन की उम्मीद कर सकते हैं . और उस बेचारे पुलिस वाले की गलती भी क्या थी , उसने विधायक को ट्राफिक के नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा था . होना तो ये चाहिए था की वो पुलिसे वाले को चालन की राशी का भुगतान करता और अपना काम इमानदारी से निभाने के लिए उसे शाबासी देता .
लेकिन जिस तरह के गुंडे मवाली , उठायेगीर अब विधानसभाओं में पहुँच रहे हैं बल्कि इसके लिए हम (जनता) ही जिम्मेदार है क्योंकि हमीं तो उन्हें जिताकर सत्ता तक पहुंचा रहे हैं .
लेकिन हमें एक बात याद रखनी चाहिए की हमारी आने वाली संताने हमें कभी भी सम्मान से याद नहीं करेंगी .
फिर मिलेंगे ( पर पता नहीं कब)
श्रीकृष्ण वर्मा
No comments:
Post a Comment