Monday, January 26, 2009

भारत का महा-भारत

समय! जो किसी के लिए न कभी ठहरा है और न ठहरेगा। समय कभी किसी को क्षमा नही करता। इसलिए हे भारत ! तेरा समय तुझे सावधान कर रहा है कि नीति वही है जो देश के हित में हो। राजनीति भी वही है जननीति भी वही है।
भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं - भारयति इति धर्मः । इसलिए देश कल्याण कि तुला पर नीतियों को तोल कर निर्णय लेना सीख । जो तू यही न सीख पाया तो तू स्वयं अपना दुरूपयोग कर रहा है। देश प्रेम से बड़ा कोई धर्म नही, देश कल्याण से अधिक महत्वपूर्ण कोई स्वप्न नही, देश हित से अधिक महत्वपूर्ण कोई हित नही। हे! असंख्य लोगों कि भारत माता अपनी संतान को देशप्रेम का वरदान दे कि वो तेरे अतिरिक्त किसी और के लिए जीना और तेरे अतिरिक्त किसी और के लिए मरना छोड़ दे। अपनी संतान को ये आशीर्वाद दे कि ये संकट की घड़ी है और तेरी संतान अपने कुरुक्षेत्र में खड़ी है। और संयोंग देख कि इस भारत माता की कथा भी आज अपने कुरुक्षेत्र पहुँच चुकी है। और हर युग का कुरुक्षेत्र उस युग कि धर्म भूमि होता है। और देख सामने कुरुक्षेत्र में सेनायें पड़ाव डालचुकी हैं।
फिर मिलेंगे ।
एस। के।
२७-०१-२००९

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