Monday, February 9, 2009

समझ नही आता ..............

समझ में नही आता कि कहाँ से शुरू करुँ !
इटावा में 6-7 साल की गरीब बेसहारा बच्ची को उ०प्र० पुलिस द्वारा बर्बरता से महज इसलिए पीटा जाता है क्योंकि उसपर रु०280/- की चोरी का आरोप था। पुलिस के इस अपराध के बचाव में किसी भी किस्म की सफाई समझ में आ ही नही सकती, चाहे ये सफाई किरण बेदी ही क्यों न दे। इस मामले के सामने आने पर उ०प्र० सरकार द्वारा कुछ पुलिस कर्मियों का निलंबन....... सब जानते हैं कि निलंबित पुलिस कर्मी कुछ ही महीनो में वापस वर्दी पहन कर किसी दूसरे थाने में फिर किसी बच्ची या किसी गरीब की बेरहमी से पिटाई कर रहे होंगे।
हालाँकि किरण बेदी का तर्क कि पुलिस वाले बेहद तनाव में काम करते हैं, उनके काम के घंटे सुनिश्चित नही होते और उन्हें राजनीतिक दबाव में काम करना पङता है, अपनी जगह ठीक है लेकिन पुलिस द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए ये तर्क स्वीकार नही किए जाने चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा है तो फिर हर अपराध के लिए प्रत्येक अपराधी के पास अपने - अपने तर्क होंगे, ऐसे में क़ानून की क्या अहमियत रह जाती है.
लेकिन उससे भी बढ़कर हमारा कानूनी तंत्र ! वो तो बिल्कुल ही समझ से परे है। इटावा वाले इस केस में गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर को कोर्ट ने जमानत दे दी. और जैसा कि मैने ऊपर भी लिखा है कुछ ही कुछ ही हफ्तों या महीनो में वो सब इंस्पेक्टर फिर से कुर्सी पर बैठकर डंडा चला रहा होगा. और आप देखियेगा कि मु०म० मायावती की तीन दिनों में जाँच रिपोर्ट के आदेश की किस तरह हवा निकलती है.
हमारे संविधान, क़ानून और उसे लागू करने वाले ! ये सब अब बिल्कुल बेअसर हो चले है। किसी ने ठीक ही कहा है कि यदि आपने बैंक से रु०10,000/- का क़र्ज़ लिया है तो ये आपकी जिम्मेदारी है और अगर आपने दस लाख रु० का क़र्ज़ लिया है तो ये बैंक की जिम्मेदारी है। अगर आप धनी या शक्तिशाली (या उनसे सरोकार) नहीं है तो हिन्दुस्तान का हर क़ानून आप पर लागू होता है। और अगर आपके पास धन व बल दोनों है तो इस मुल्क के क़ानून की हर किताब आपकी जेब में है।
भारत के प्रधान मंत्री कार्यालय ने सूचना के अधिकार के क़ानून पर अपनी सफाई दी है कि भारत सरकार के मंत्रियों व सांसदों पर सूचना के अधिकार का क़ानून लागू नही होगा, क्यों..... क्योंकि वे इस देश के मालिक है और मालिकों पर क़ानून लागू नहीं होते।
अस्सी से ऊपर के लाल कृष्ण आडवाणी प्रधान मंत्री की कुर्सी की खातिर अपनी लार टपकाते बेशर्मी से घूम रहे है। कुछ तो शर्म करो आडवाणी जी ! इस देश के युवाओं को आगे लाओ और देश की बागडोर उन्हें सम्हालने दो। जवानी तो आपने बरबाद कर ही दी, अब कुछ भजन कीर्तन करके अपना बुढापा तो संवार लो आख़िर ऊपर वाले को अपना मुंह दिखाना है कि नहीं।
आपका
श्रीकृष्ण वर्मा

8 comments:

Udan Tashtari said...

आपका हिन्दी चिट्ठाकारी में हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

अभिषेक मिश्र said...

स्वागत ब्लॉग परिवार में.

दिगम्बर नासवा said...

सही गुस्सा है............
सही लिखा

Mishra Pankaj said...

Nice post u r most welcome at my blog

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

jis din rajnetao kee soch badal jayegi us din hindustan badal jayega.narayan narayan

kumar Dheeraj said...

अपने देश में सबकुछ इसी तरह चलता रहता है । हलाकि मुद्दा ज्लवंत है । हमारे देश में इस तरह की घटनाए होती ही रहती है । पुलिस की बबॆरता की कहानी तो आए दिन होती ही रहती है । फिर यूपी में तो क्या कहना । वहां तो पुलिस का शासन बेमिसाल है । शुक्रिया

pawan said...

you r right,but the hole world also responsible for that,because it happend around us.

pawan said...

you r right,but the hole world also responsible for that,because it happend around us.