Friday, April 17, 2009

जिंदगी में कभी - कभी.............

प्रिय दोस्तों,
एक दुर्घटना में दांये पैर के घुटने में फ्रैक्चर हो जाने के कारण दो महीनो से मैं बेड पर था. इन दिनों जिन्दगी ने अपना एक अलग ही रूप दिखाया. पहली बार महसूस हुआ कि लाचारी क्या होती है. जब आप अपनी रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरों पर निर्भर हो जातें हैं. चाहकर भी आप कुछ कर नहीं पाते, बस पड़े - पड़े या तो किताबें पढ़ते रहो या फिर टेलीविजन देख कर समय काटो. समय तो काटना ही पड़ता है क्योंकि इसके अलावा कोई चारा भी नहीं होता. मिलने वाले आतें है तो कुछ तो वाकई हमदर्दी के नाते आते हैं और कुछ तो ......... उनके सामने अपने आपको बड़ा बेचारा सा महसूस होता है. ये वाकई बड़ा तकलीफ देय लगता है. खैर ये सब तो चलो ठीक है. लेकिन इसके बाद .....
जब आठ हफ्तों के बाद प्लास्टर खुला तो पता चला कि घुटना बुरी तरह जाम हो गया है पैर मुड़ता ही नहीं था, ओपरेशन करने वाले सर्जन ने कहा कि गरम पानी से सिकाई करो धीरे-धीरे ठीक हो जायेगा. 15 दिनों के बाद जब सर्जन को दिखाया तो उसने कहा कि आपका पैर है आपको ही कोशिश करके ठीक करना पड़ेगा
. फिर मैंने दुसरे डॉक्टर को दिखाया तो उसने कहा कि आपको फिजिओठेरेपिस्ट के पास जाकर इलाज कराना होगा. फिजिओठेरेपिस्ट ने जांच कर एक डिजीटल एक्सरे कराने को कहा. एक्सरे को देख कर उसने इलाज करने से मना कर दिया क्योंकि एक्सरे रिपोर्ट में डाo ने किखा था कि मेरे पैर में सेप्टिक और इन्फेक्शन हो गया है और साथ में हड्डियों में टी बी भी है. फिर मैंने एक और ओर्थोपेडिक सर्जन को दिखाया तो उसने किसी भी तरह के इन्फेक्शन या सेप्टिक या टी बी होने से साफ़ मना कर दिया. लेकिन मुझे संतोष नहीं हुआ और मैंने एक और सर्जन से कंसल्ट किया तो उन्होंने ने भी कहा कि आपके पैर में कोई बीमारी नहीं है, उन्होंने बताया कि जब लम्बे समय तक पैर को प्लास्टर में रखा जाता है तो हड्डियां कमजोर होजाती है और एक्सरे में उस जगह पर कुछ स्पॉट नजर आते हैं ये एक सामान्य सी बात है.
खैर मुझे इससे बड़ी राहत मिली लेकिन असल समस्या तो पैर मुड़ने की थी। इसके लिए एक डॉक्टर ने तो दुबारा ओपरेशन की सलाह भी दी. लेकिन फ़िर मैं अपने एक मित्र के परिचित डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने बताया की मेरा ओपरेशन दस साल पुरानी तकनीक से करा गया है और इसमें ऐसा ही होता है. अभी जो नयी तकनीक है उसमें जोडों के फ्रैक्चर में प्लास्टर नहीं किया जाता बल्कि टूटे हुए जोड़ में क्लिप लगाकर पूरे पैर में बाहर से एक ब्रैकेट लगा दिया जाता है इस ब्रैकेट को मरीज खुद लगा या हटा सकता है. इसका फायेदा ये होता है कि मरीज दिन में एक दो बार अपने घुटने को मोड़ने की प्रक्रिया खुद कर सकता है जिससे घुटना जाम होने की समस्या नहीं होती या फ़िर बहुत ही कम होती है
अब मुझे अपना पैर पूरा पीछे की और मोड़ने के लिए फिजिओठेरेपिस्ट की देख रेख में अगले 6 से 8 महीनो तक एक्सरसाईज करनी होगी.
आपका
श्रीकृष्ण वर्मा

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